महाभिक्षु ईक्षुरस स्वीकारे
वैशाखी सुद त्रीज नो दिन अक्षय तृतीयानुं पद धारे
महाभिक्षु ईक्षुरस स्वीकारे
कर्या चारसो उपवास श्री ऋषभदेव महाअणगारे
पूरवनां पापोने निरखी आत्म लीनता अवधारे
महाभिक्षु ईक्षुरस स्वीकारे
हस्तिनापुरमां प्रभु आवे श्री श्रेयांसतणां द्वारे
अचित्त ने निर्दोष द्रव्यने ग्रहे नाथ विधि अनुसारे
महाभिक्षु ईक्षुरस स्वीकारे
पंच दिव्य प्रगटावे देवो वधामणी जय जयकारे
भक्तजनो आनंदित नाचे प्रभु जीते कर्मो हारे
महाभिक्षु ईक्षुरस स्वीकारे
तपतेजे तपता तीर्थंकर स्वयं तरे सहुने तारे
आंखे अमरत छलके अविरत देवर्धि छे दरबारे
महाभिक्षु ईक्षुरस स्वीकारे
वैशाखी सुद त्रीज नो दिन अक्षय तृतीयानुं पद धारे
महाभिक्षु ईक्षुरस स्वीकारे
कर्या चारसो उपवास श्री ऋषभदेव महाअणगारे
पूरवनां पापोने निरखी आत्म लीनता अवधारे
महाभिक्षु ईक्षुरस स्वीकारे
हस्तिनापुरमां प्रभु आवे श्री श्रेयांसतणां द्वारे
अचित्त ने निर्दोष द्रव्यने ग्रहे नाथ विधि अनुसारे
महाभिक्षु ईक्षुरस स्वीकारे
पंच दिव्य प्रगटावे देवो वधामणी जय जयकारे
भक्तजनो आनंदित नाचे प्रभु जीते कर्मो हारे
महाभिक्षु ईक्षुरस स्वीकारे
तपतेजे तपता तीर्थंकर स्वयं तरे सहुने तारे
आंखे अमरत छलके अविरत देवर्धि छे दरबारे
महाभिक्षु ईक्षुरस स्वीकारे
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