तर्ज: (भला / क्या वो करेगा लेके चढावा)
सर्व स्वीकारनी संयम यात्रा, सादी अनंत छे वीरे कहीं,
भव भ्रमणोनी यात्रा नो तो, अंत छे अनंत नहीं...
हु केहतो नथी संसारे दुःख, पण शाश्वत सुख नो अंश नहीं,
भव भ्रमणोनी यात्रा नो तो, अंत छे अनंत नहीं…
पैसा पाछल भव जसे, साथ न आवसे पाई ।
स्वार्थ भरेला संबंधो छे, प्रभु संग करीले सगाई ।।
तुं भव अनंता करी आव्यो, तुं नश्वर देह पाछल भाग्यो,
जीवनमां सुख जे कोतरे छे, मृगजल बनी ते छेतरे छे,
केम मन मंदिर तारु खाली छे? केम खाली आतम? सुख नहीं,
भव भ्रमणोनी यात्रा नो, तो अंत छे अनंत नही...
हु केहतो नथी संसारे दुःख, पण शाश्वत सुख नो अंश नहीं,
भव भ्रमणोनी यात्रा नो तो, अंत छे अनंत नहीं...
नेमि नुं बस नाम जपे, बनसे नेम जेम ए मन पर,
देह थी अंजन छे मन रंजन, छोड्या एने धन कंचन,
आ नेमि तो गिरनारी छे, एने राजुल रानी तारी छे,
वळी पशुओने पण उगारी रे, एतो पाम्या शिववधु प्यारी रे,
पुण्य नहीं जोसे ए तारुं, बस मन पवित्र छे के नहीं,
भव भ्रमणोनी यात्रा नो तो, अंत छे अनंत नहीं…
•धुन •
मुंडन करावी प्रव्रज्या स्वीकारी, स्वाध्याये बेठो रहे मौन तुं,
बंध छे आंखों आनंदे राचो, संयम यात्रा नो पथिक तुं...
Lyrics - Saiyam Kubadiya & Yash Mehta
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