तर्जः (सिंह बनीने गर्जवानुं)
ऋषभ प्रभुना स्पर्श थी, ऐ सिद्ध भूमि पावन बनी,
ऋषभ प्रभुना स्पर्श थी, ऐ सिद्ध भूमि पावन बनी,
माटे गिरिवर भेटवानी, आशा छे मन मां घणी...
काळ भले दुशम घणों, पण गिरिवर जीवंत छे,
काळ भले दुशम घणों, पण गिरिवर जीवंत छे,
पाप सघळा चूरे क्षण मां, ऐवो महिमावंत छे,
स्वामी सीमंधरना मुखथी, कीर्ति जेनी गवाय छे,
सिद्धगिरिनुं शरण लेता, सिद्ध स्वरूपी थवाय छे,
केवल लक्ष्मी पामवा अहिं, आव्या क्रोड़ो मुनि,
माटे गिरिवर भेटवानी, आशा छे मन मां घणी
ऋषभ प्रभुना स्पर्श थी, ऐ सिद्ध भूमि पावन बनी...
Rachna: Pu. Muniraj Tirthsundar Vijayji MS
ऋषभ प्रभुना स्पर्श थी, ऐ सिद्ध भूमि पावन बनी...
Rachna: Pu. Muniraj Tirthsundar Vijayji MS
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