Sambhav Jinvar Vinati (Hindi Lyrics) Jain Stavan



संभव जिनवर विनती अवधारो गुण ज्ञाता रे
खामी नहि मुज खिजमते कदीय होश्यो फळ दाता रे…
संभव… (१)

कर जोडी ऊभो रहुं, रात दिवस तुम ध्याने रे
जो मनमां आणो नहीं, तो शुं कहिये थाने रे…
संभव… (२)

खोट खजाने को नथी, दीजे वंछित दानो रे
करुणा नजरे प्रभु तणी, वाधे सेवक वानो रे…
संभव… (३)

काळ लब्धि मुज मति गणो, भाव लब्धि तुज हाथे रे
लडखडतुं पण गज बच्चुं, गाजे गजवर साथे रे…
संभव… (४)

देश्यो तो तुमही भलु, बीजा तो नवि साचुं रे
वाचक जश कहे सांईशुं, फळशे ए मुज साचुं रे…
संभव… (५)

Comments