ऋषभजीने गण्या मारा, हवे लाग्युं पराया छे…
पिताजी क्यां जई बेठां, सवालो ए छवाया छे…
ऋतु आनंदनी झंखी हती पण वेदना जागी…
प्रभुए संघ शासन संपदा अष्टापदे त्यागी
तर्यो संसारनो सागर विभु मोक्षे सिधाव्या छे...ऋषभजीने…
नसीब एमनुं जेओ तमारी साथे आव्याता…
तमारो हाथ झालीने जेणे करम खपाव्याता…
अभागी हुं ज छुं बाकी. हजु संसार माया छे…ऋषभजीने…
भराया श्वास हैयामां भरत रोई नथी शकता
भयानक वेदना एनी कोई जोई नथी शकता…
भरतना प्राण कंठे छे ने आंसु क्यां छूपाया छे…ऋषभजीने…
विचारे इन्द्र महाराजा भरत तरफडे त्यारे...
बधुं शीखव्युं प्रभुजीए रूदन शीखव्युं नथी क्यारे…
पछी इन्टे कर्यो पोकार भरतजीने रडाव्या छे... ऋषभजीने…
उदय, समजी शके छे नाथनां पगरव तणी घटना…
हृदय छोडी शके ना नाथनी भवभव सुधी रटना…
दीधी जेणे बधी ओळख मने नही ओळखाया छे…ऋषभजीने...
Rushabhjine Ganya Mara (Hindi Lyrics) Jain Song | Rushabh Katha |
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