पगले पगले जेनां उघडे छे पंथ...
सूर्य चंद्र नक्षत्रो झगमगता तारा…
पंखी कलशोर करे परमेश्वर मारा…
जेना पडछाये बारमासी वसंत...
ऋषभ बन्या छे एवा संत…
रेतभीना पगलाओ भक्तो सहु सूधे…
ध्यानमग्न चरणोमां हेतथी ए ऊंघे…
तेज ना झीलाय आंख थई जाय बंध....
ऋषभ बन्या छे एवा संत…
सचराचर विश्व जाणे हलु हलु गातुं…
विहरता स्वामीनुं रूप ना समातुं…
पुण्य - ‘उदय’ नो थयो भीनो संबंध…
ऋषभ बन्या छे एवा संत...
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