नित ध्यावो भवि गिरनार, नाम लेतां करे भवपार,
त्रस थावर करे उद्धार, ए तीरथ गुणलां अपार रे…
गिरनार गिरिवर भेटो,
चौद राजमां ना जडे जोटो रे...गिरनार गिरिवर भेटो…
जे पक्षी छाया गिरि फरशे, दुर्गति दुःख तेना खरशे,
घेर बेठां ए गिरि ध्यावे, भव चोथे शिवपद पावे रे...
प्रत्येक चोवीशी जाणे, जिन दीक्षा-नाण-निर्वाण,
अनंता अरिहानी खाण, कल्याण अनंतजिन माण रे...
गिरनार गिरिवर भेटो…
अतीत सागरजिन पास, करजोडी शक्रवदे खास,
कदा छूटशे मुज भवपाश, प्रभु पाडे तस प्रकाश रे...
गिरनार गिरिवर भेटो…
गणधर नेमजीना थाशो, गिरनार गिरि शिव जाशो,
ईम सागर जिननी वाणी, ब्रह्मेन्द्रे ते श्रवणे आणी रे...
गिरनार गिरिवर भेटो…
प्रभु पडिमा ईन्द्रे भरावी, बहुकाळ सुरलोकमा ठावी,
नेमिकाळे कृष्णघरे आवी, अंबिका गिरनार लावी रे...
गिरनार गिरिवर भेटो…
आचारज बप्पभट्टाणंद, तीर्थसेवा करे भद्रेश्वर,
तीर्थोदये हर्ष अमंद, पामे नीति-हिमांशुसूरीवर रे...
गिरनार गिरिवर भेटो…
कुमार-वस्तु-तेजपाळ, संप्रति सज्जनने धार,
पेथड झांझंणने संग्राम, करे तीरथ भगती अपार रे...
गिरनार गिरिवर भेटो…
दोय सहस बोहतेर वरसे, जेठ सुदी त्रीजने दिवसे,
हेम एह गिरिशने फरशे, वल्लभपद तिहां ते तलसे रे...
गिरनार गिरिवर भेटो...
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