Dharam Param Arnath No (Hindi Lyrics) Jain Stavan | Anandghan Chovisi



धरम परम अरनाथनो, केम जाणुं भगवंत रे;
स्वपर समय समजावीए, महिमावंत महंत रे...धरम...१

शुद्धातम अनुभव सदा, स्वसमय एह विलास रे;
परबडी छांहडी जेह पडे, ते परसमय निवास रे...धरम...२

तारा नक्षत्र प्रह चंदनी, ज्योति दिनेश मझार रे,
दर्शन ज्ञान चरण थकी, शक्ति निजातम घार रे...धरम...३

भारी पीळो चीकणो, कनक अनेक तरंग रे;
पर्यायवृष्टि न दीजीए, एक ज कनक अभंग रे...धरम...४

दरशन ज्ञान चरण थकी, अलख स्वरूप अनेक रे;
निर्विकल्प रस पीजीए. शुद्ध निरंजन एक रे...धरम...५

परमारथ पंथ जे कहे, ते रंजे एक तंत रे;
व्यवहारे लख जे रहे, तेहना भेद अनंत रे...धरम...६

व्यवहारे लखे दोहिला, कांई न आवे हाथ रे,
शुद्ध नय थापना सेवतां, नवि रहे दुविघा साथ रे...धरम...७

एकपखी लखी प्रीतिने, तुम साथे जगनाथ रे,
कृपा करीने राखजो, चरण तळे ग्रही हाथ रे...धरम...८

चक्री धरम तीरथतणो, तीरथ फळ ततसार रे,
तीरथ सेवे ते लहे, आनंदघन निरघार रे...धरम...९

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