Vitragi Thava Vairagi Banu (Hindi Lyrics) Jain Diksha Song



तर्जः (मेरी माँ के बराबर कोई नहीं)

Lyrics: Kaivan Shah (Surat)

बनवाने अणगार, करवाने भवपार,
छोडीने संसार, सिंह सत्व लई…
तव आणा मां रहुं, तारा संयम ने चहुं,
चारित्रनो लई आशरो मुक्ति वरु…

हे! तित्थयरा में पसीयतुं, करुणा करो वीतराग विभु,
वितरागी थवा वैरागी बनु…
करुणा रस नो तुं भरीयो रे, मारे तरवो भवनो सागरियो,

नाना नाना पगला मारा, मांडे एतो मोटा डगलां,
सिधोनी रे जोवी मारे दुनिया…
अष्टकरम ना झगडा जीतवा, दउरे वर्षीदान रूडा
महावर्त धारी मारे बनवा…
अर्हम अर्हम आ हृदय करे, शरणम् शरणम् तुज शरण ग्रहे,
करवा प्रभुवीर तणा केसरिया…

गोयम समां गुरुवर मळे, शासन तणा सम्राट मळे,
वितरागी थवा वैरागी बनु...
हे! तित्थयरा में पसीयतुं…

भाई बहेननी साथे रमता, मात-पिता ना वंश ए कहेता,
रहे, मारे परमपिता नी गोदमां...
विजयतीलक भाले शणगारी, चौमुखजी सम शीश झुकावी,
करवी मम मुंडावेह नी घोषणा…
रजोहरण ने हाथमां लईने, थनगनता आ चरणो लईने,
जावू मारे श्रमणोना उपवनमां…
मुनिवेश धरी नयनो ढाळी, मारा आतमने हुं अजवाळी,
करवी ज्ञान-ध्याननी आराधना…

समतारस नो हुं रागी बनु,जिनवर तणो अनुरागी बनु,
वितरागी थवा वैरागी बनु...
हे! तित्थयरा में पसीयतुं...

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