Nath Tamari Vani (Hindi Lyrics) Jain Song | Kevalgyan Geet



नाथ तमारी वाणी... एवी 
केवळना सागरथी वहावी ज्ञान तणी सरवाणी
नाथ तमारी वाणी…

आतुर प्राण रह्या सहु जीवनां
अबूझ प्राणी चहे सुख शिवना
समवसरणनां पंथ सजावे
तव जयनादो गगन गजावे
त्रण त्रण लोकना हैये रमे छे प्रभु थया छे ज्ञानी...
नाथ तमारी वाणी…

त्रण गढ उपर त्रिभुवन स्वामी
तन-मन डोले वचनने पामी
महेंके फुल जिम फोरम फूटी
एम ऋषभनी वाणी छूटी
देव-मनुष्यने तिर्यंचोने व्हाल करे जोई जाणी...

अगनझाळ पर श्रावण हेली
वडवानल पर सागर बेली
वैशाखे मल्हारनुं पाणी
केवळज्ञानी प्रभुनी वाणी
उदयरतन मन मत्त बने छे, अहो अहो केवळनाणी...
नाथ तमारी वाणी...

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