एकडे एकथी शरू करावे
ए मारा भगवान् छे
एकसो आठ सुधी लई आवे
ए मारा भगवान् छे
अनहद नाद गजवती
ओगणीस वरसोनी आ यात्रामां
साथे रहीने सूर पुरावे
ए मारा भगवान् छे
माटीमांथी खुशबू जगावे
बीजमांथी अंकुर प्रगटावे
ए मारा भगवान् छे
सिद्धशिलामां वसी रह्या छे
त्यांथी पण सौ आत्माने
अभयदशानो बोध अपावे
ए मारा भगवान् छे
कादवमांथी कमळ बनावे
ए मारा भगवान् छे
कांटा वच्चे फूल रचावे
ए मारा भगवान् छे
सिद्धशिलानां आंगणथी पण
अगणित अगणित आत्माना
सुवर्णने जे शुद्ध तपावे
ए मारा भगवान् छे
नदीओ बे कांठे छलकावे
ए मारा भगवान् छे
दरियाने भरपूर गजावे
ए मारा भगवान् छे
सिद्धशिलाना महामहेलथी
अगमनिगमनी वाणीमां
संदेशाओ बहु मोकलावे
ए मारा भगवान् छे
सवार सांजे नभ रंगावे
ए मारा भगवान् छे
दीवामां बहु तेज पुरावे
नंदप्रभाना एक एक
मंगल अवसरमां निज हाथे
देवर्धिनी ज्योत जलावे
ए मारा भगवान् छे
Comments
Post a Comment