Rajoharan Sang Lagi Pritaldi (Hindi Lyrics) Jain Diksha Song


संयम उपवन, संयम मधुवन, संयम थी खीले, मुक्ति मारी, 
शिवपदमां रमे, मनडु तलसे, प्रभुना पगले, विरती प्यारी...

भवसागरमां मारी नावलडी, गुरु हेम कृपाथी तरी गई,
प्रभु करुणा नो शुभ धोध वहे, गुरु समतानो कोई मोल नहि,
रजोहरण संग लगी प्रीतलडी..(२)

मारा तात स्नेह दरिया, मारी मात खोळे निंदीया,
तारा चरणे अर्पित मारुं आयखु... 
तारा थशे आंगण सूना, प्रवज्या ना प्रांगण रूडा,
हसता हसता आशिष मुजने आप तुं…

सुख शाश्वत मुजने मळनारा, आतममां प्रगटे अजवाळा,
विरती वाटे शमणां जोउं न्यारा, 
अक्षत थी वधावू अश्रु थी, तारा संस्कारोनो मोल नहि...
रजोहरण संग लगी प्रीतलडी..(२) 
(भवसागरमां मारी नावलडी...)
तारी मारी केवी सगाई, प्रभुने सोनाथी वधावी,
करुं मारा संघना वधामणां... 
शत-शत नमन मुनिराया, गुरु माता छे घडवैया,
खोल्या मुक्तिना दरवाजा...
शत
गुरुवर नी छे मीठी वाणी, नंदी सूत्र गुणनी खाणी,
क्यारे आवे रजोहरण नी घडी, 
ओघो अणमूलो प्यारं रतन, तेनी रज-रज नो कोई मोल नहि..
रजोहरण संग लगी प्रीतलडी..(२) 
(भवसागरमां मारी नावलडी...)

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