पोष दशमी तप पोष कृष्णा दशमी यह पार्श्वनाथ प्रभु का जन्म-कल्याणक दिन है। इस तप की आराधना से शम आदि गुणों की प्राप्ति होती हैं। इस तप की आराधना दरम्यान गुरु मुख से पार्श्वनाथ प्रभु का जीवन-चरित्र सुनना चाहिये। उपसर्ग करने वाले कमठ और भक्ति करने वाले धरणेन्द्र प्रति सम दृष्टि धारण करने वाले पार्श्वनाथ प्रभु की आराधना से जीवन के हर प्रसंगों में तथा मृत्यु समय समाधि की प्राप्ति होती हैं।
पोष दशमी तप विधि PDF -
नीचे की विधि 3 दिन तक की जाती है।
नोट : (3 उपवा भी किए जाते हैं। यदि आप 3 उपवास कर सकते हैं तो उपवास करें इसे अठ्ठम कहा जाता है)
एकासन का अर्थ है दिन में एक बार दोपहर का भोजन करना
पहला दिन - मागसर वदी मास की 9वीं तिथि - सुगन्धित जल का तम एकासन।
थम का अर्थ है चौविहार जो एकासन के बाद कोई और खाना-पीना नहीं है।
दूसरा दिन - मागसर वदी मास की १० वीं तिथि - भगवान पार्श्वनाथ का जन्म / जन्म कल्याणक।
खीर का एकासन (दूध+चावल)
तीसरा दिन - मागसर वदी मास की ११ वीं तिथि - पूर्ण दोपहर का भोजन एकसन - भगवान पार्श्वनाथ की दीक्षा कल्याणक
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पोष दषमी, पोष दसमी, पोष दषम, पोष दसम
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