तर्जः (देवाक काळजी रे)
पार्श्व मीठा छे, प्रभु पार्श्व मीठा छे...
वामादेवी ना कुखे जन्म्या नाना राजकुमार
अश्वसेनराया ना हैये आनंद नो नही पार
काशीदेशे वाराणसी मां लोक गाये गीत-गान
आखा विश्व नी लाज, तरणतारण ए जहाज छे
पार्श्व मीठा छे, प्रभु पार्श्व मीठा छे..(२)
जन्मसमये साते ग्रहो
उच्च कक्षाए पहोच्या
सारी सृष्टीमां नवो रोमांच छवायो..
पाणी थी छलकाय नदीओं
रण मां पण वादळ वरस्या
आनंदित प्रजा पाठवे शुभेच्छाओं..
हो, पार्श्व मीठा छे, प्रभु पार्श्व मीठा छे
हसता खीलता बाळप्रभुना खंजन पडता गाल
चंदा जेवु मुखडूं एनुं तेजप्रतापी भाल
पितानी ईच्छा थी प्रभावती साथे मांड्या संसारे पगला
पण संसारना भोग मां हता अनासक्ति ना ढगला
भौतिक सुख नो त्याग करीने, आतमसुख तरफ डग मांडीने,
पार्श्व प्रभुजी परम वैराग्य नी भुमिका मां आव्या
उपसर्गो ने सहन करी भारे कर्मो ने बाळ्या
कमठ जेवा ने पण माफ करी एने तार्या
करुणा जोइने सहूना मुखे थी शब्दों आ सर्या
पार्श्व मीठा छे, प्रभु पार्श्व मीठा छे..(२)
पार्श्वजी तो छे कृपाळु
एनी आज्ञा हुं पाळु
आज्ञा पालन थी मारु जीवन मधुरू..
पार्श्वजी अंधारे दिवो
एना वचने तरता जिवो
पार्श्वप्रेमने घुट घुट भरी पीवो..
पार्श्व मीठा छे, प्रभु पार्श्व मीठा छे..(२)
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