Parva Paryushan Aviya (Hindi Lyrics) Jain Paryushan Sajjay



Lyrics - P. P. Manekvijay M. S.

पर्व पजुषण आवियां, आनंद अंग न माय रे,
घर घर उत्सव अति घणां, श्री संघ आवीने जाय रे... पर्व…

जीव अमारि पलाविए, कीजीए व्रत पच्चकखाण रे,
भाव धरी गुरु वंदीए रे, सुणीए सूत्र वखाण रे. पर्व...

आठ दिवस एम पाळीए, आरंभनो परिहरो रे,
नावण धोवण खंडण, लींपण पीसण वारो रे... पर्व...

शक्ति होय तो पच्चक्खीए, अठाई अति सरो रे,
परम भक्ति प्रीति लावीने, साधुने चार अहारो रे... पर्व...

गाय सोहागण सवि मळी, धवल मंगल गीत रे,
पकवानो करी पोषीए, पारणे सहम्मि मन प्रीत रे... पर्व...

सत्तर भेदी पूजा रची, पूजीए श्री जिनराय रे,
आगळ भावना भावीओ, पातिक मल धोवाय रे... पर्व...

लोच करावे साधुजी, बेसे बेसणा मांडी रे,
शिर विलेपन किजीए, आलस अंगथी छंडी रे... पर्व...

गजगति चाले चालती, सोहगण नारी रे आवे रे,
कुंकुंम चंदन गहुंली, मोतीए चोक पुरावे रे... पर्व...

रूपा महोर प्रभावना, करीए तव सुखकारी रे,
श्री क्षमाविजय कविरायने, बुध "माणेकविजय" जयकारी रे... पर्व...

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