तम दरिसण भले पायो, प्रथम जिन तुम;
नाभि नरेसर नंदन निरूपम, माता मरूदेवी जायो (१)
आज अमीरस जलधर वूठो, मानुं गंगाजले नहायो;
सुरतरू सुरमणि प्रमुख अनुपम, ते सवि आज में पायो (२)
यगला धर्म निवारण तारण, गग जस मंडप छायो;
प्रभु तुज शासन वासन समकित, अंतर वैरी हरायो (३)
कुगुरू कुदेव कुधर्मनी वासे, मिथ्या मतमें फसायो;
में प्रभु आजसें निश्चय कीनो, सवि मिथ्यात्व गमायो (४)
बेर बेर करूं विनंती इतनी, तुम सेवा रस पायो;
ज्ञानविमल प्रभुसाहिब नजरे, समकित पूरण सवायो (५)
नाभि नरेसर नंदन निरूपम, माता मरूदेवी जायो (१)
आज अमीरस जलधर वूठो, मानुं गंगाजले नहायो;
सुरतरू सुरमणि प्रमुख अनुपम, ते सवि आज में पायो (२)
यगला धर्म निवारण तारण, गग जस मंडप छायो;
प्रभु तुज शासन वासन समकित, अंतर वैरी हरायो (३)
कुगुरू कुदेव कुधर्मनी वासे, मिथ्या मतमें फसायो;
में प्रभु आजसें निश्चय कीनो, सवि मिथ्यात्व गमायो (४)
बेर बेर करूं विनंती इतनी, तुम सेवा रस पायो;
ज्ञानविमल प्रभुसाहिब नजरे, समकित पूरण सवायो (५)
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