जीवन समर्पण तुजने कर्यु छे, 
सर्वस्व मारुं, में तुजने धर्यु छे, 
तारे तो लाखो पण मारे तुं एक छे, 
दिन रात यादमा, स्मरणमां तुं एक छे,
तारी आणा हुं मस्तके धरूं, 
तव आणाथी शिवपद पामुं, 
मन वच कायामां, तुजने हुं स्थापु
अंत समय ध्यान धरी मुक्ति हुं पामुं,
सामु जुवोने मारी सामु जुवोने, 
एकवार दादा मारी सामु जुवोने...
महाविदेहमां जन्म मने आपजो, 
समवसरण मां मुजने बोलावजो, 
अमृत सम एवी वाणी संभळावजो, 
ताराज हस्ते मने रजोहरण आपजो,
करेमि भंते मळे, 
साधना मारी फळे, 
पंचम ज्ञानने आत्मावरे... 
समाधि मरण मळे एवं हुं मांगु, 
भवोभवना फेरा टळे एबुं हुं मांगुं, 
सामु जुवोने मारी सामु जुवोने, 
एकवार दादा मारी सामु जुवोने...
नेमिनाथ दादा मने प्राण थकी प्यारा, 
सर्व जीवोना एतो तारणहारा, 
मारा हृदय मंदिर मां बिराजो, 
कर्मो कापी मने सिद्ध बनावजो, 
जीम तारी तमे राजुलनार, 
तीम तमे आजे तारो आबाळ...
तारी मारी प्रीत भवोभवोनी तुं बांधजे, 
तारो मारो साथ भवोभवनो तुं राखजे,
नेम बोलावो मने नेम बोलावो, 
गिरनार बोलावी मने नेम बनावो,
यात्रा करावी मने नेम बनावो, 
कृपा वरसावी भवपार उतारो, 
सामु जुवोने मारी सामु जुवोने, 
एकवार दादा मारी सामु जुवोने...
 

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