Ek Manorath Evo Che (Hindi Lyrics) Jain Diksha Song

एक मनोरथ एवो छे, वेष श्रमणनो लेवो छे,
प्रभु चरणोमां रहेतुं छे, संयम मारे लेवू छे,
अंतरनी एक प्यास छ, संयमनी अभिलाष छे...1

भवभ्रमणा दूर टळजो रे, पंथ प्रभुनो मळजो रे,
अरजी ए अवधारजो, संयम जीवन आपजो,
जाग्या छे एवा अरमान, श्रमण धर्मनुं देजो दान...2

भवोभवनो हुं प्यासी छु, संयमनो अभिलाषी छु, 
साद मारो सांभळजो रे, मारग तारो मळजो रे,
वीर प्रभुनो अंश मळे, गुरु गौतमनो वंश मळे...3

संयम मारे लेवु छे, भवथी पार उतरतुं छे, 
रोमरोमथी प्रगटे नाद, संयमना द्यो आशीर्वाद,
एक झंखना जागी छे, संयम भिक्षा माँगी छे...4

करुणा करजो ओ किरतार, संयम देजो जगदाधार, 
उरना आसन खाली छे, दीक्षा मुजने व्हाली छे, 
वरसोथी मीट मांडु छु, संयम भिक्षा मांगु छु,
एक मनोरथ एवो छे, वेष श्रमणनो लेवो छे...5
Ek Manorath Evo Che (Hindi Lyrics) Jain Diksha Song
Ek Manorath Evo Che (Hindi Lyrics) Jain Diksha Song

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