रजोहरण मारु मंगल सूत्र होजो
मारी मुहपत्ती हाथ नु मिढण
तारी प्रीत नु पानेतर सजीने आवु छु
विरति विवाह माटे...
संसार त्यजी ने आवु छु (२ बार)
संयम ना अर्थि शूरा सत्व केवु लावे (२ बार)
जोइ जोइ मारु हैयु बोले आज भावे
ओ... संयम क्यारे मळशे
ओ... क्यारे क्यारे मळशे
ओ... मुजने क्यारे मळशे
ओ... संयम क्यारे मळशे
हु भोग मां डूबी पड पड दुख पामुं
तृष्णा मां सडगी दिन रात घूमावू
तु भोग तजीने हर पळ सुख पामे
संतोष ना सुख मां दिन रात बीतावे
भोजन थाळी रमवा शेरी तारी मारी हेत
हु भटकु तु मुजने छोडी संयम पाम्यो छे
ओ... संयम क्यारे मळशे
ओ... क्यारे क्यारे मळशे
ओ... मुजने क्यारे मळशे
ओ... संयम क्यारे मळशे
आ मोंघु जीवन, पळ मा वही जाशे
जो नहीं सुधरू तो, क्यां आतम जाशे
गुरु मळ्या एवा, जे हाथ पकडशे
दइ साथ मने जे, मोक्षे लइ जाशे
संयम नो अभिलाष हवे तो रोम रोम मां थाय
हृदय वीणा ना तार वगाडी योग नो साक्षी जाय
ओ... संयम क्यारे मळशे
ओ... क्यारे क्यारे मळशे
ओ... मुजने क्यारे मळशे
ओ... संयम क्यारे मळशे
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