पार्श्व मेरा नाथ है तू विश्व में विख्यात है
नाम तेरे है हजारों भक्तों की क्या बात है
तेरी भक्ति से मिला जीवन मुझे अनमोल ये
द्वार तेरे जो भी आए दे उसे दिल खोल के
राज राजेश्वर है तू तीनों भुवन का नाथ है
मेरी भक्ति मेरी शक्ति है तू ही भगवान पारस
राज राजेश्वर है तू तीनों भुवन का नाथ है
धन्य है वह जीव जिसके सिर पे तेरा हाथ पारस
तेरी माता है वामा अश्वसेन है तात तेरा
मेरी माता है मेरा तात तू भ्राता है मेरा
मेरी आँखों में तेरी शामली मूरत बसी है
तेरे दर्शन बिना यह आतमा सूनी पड़ी है
दर्शन मुझे...हे पार्श्व दे,
मुज आतमा ...को जान दे
तुज नाम ही पीड़ा हरे दर्शन की तो क्या बात है
दुःख तेरे भक्तों का हरने वाली है पद्मावती
द्वार पर धरणेन्द्र निशदिन है उतारे आरती
राज राजेश्वर.....
अवन्ति नाथ स्तंभन पा र्श्वनाकोड़ा बसा है
तेरे चरणों में अर्पण सब मेरा शंखेश्वरा है
तेरे पक्षाल से ही लड़ सकी वह कृष्ण सेना
मेरे अंतर को तू भी स्वामी एसी शक्ति देना
बलवान तू....संसार में,
पाऊं तुजे...हर बार में
"कांति-मणि" तुज भक्ति में भूले सकल संसार को
नेमि तेरा दास सेवा चाहता है भाव से
जो मेरा सब है तेरा, तेरा है मेरा आज से
राज राजेश्वर.....
तार दे तू नाथ मुझ को भक्त की अरदास है
ऊँचे ऊँचे पर्वतों पर नाथ तेरा वास है
साथ निभाएगा तू मेरा मन में ही विश्वास है
हे पारस.... हे दादा
लाख जन्मों की मेरी आशा है,
मुझ को तेरे समा ही होना है
यारी तुझको निभानी है तेरी,
मेरी आशा को पूरी करना है
नाथ तू मेरे हर पल साथ साथ है,
पार्श्व ही मेरी श्वास श्वास है
तू ही मेरा महाराज है....हो....
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