तमे कार्यो एवा करी गया कोई कल्पना पण ना करे,
जीवन एवुं जीवी गया खुद मृत्यु पण तमने नमे
जय जय थजो पंन्यासजी, चंद्रशेखर गुरूराजनो,
बाळको तणी गुरूमां तणो, युवाओ ना भगवाननो,
आपो एवा आशिष के शुद्ध अमे बनीए,
शासन रक्षा काजे, केसरीया सहु करीये,
गुरूदेव...(३)...जयते....वि मिस यु ओ गुरूमेया
प्रभुवीर ना शासन तणी, तमे लाज राखी छे घणी,
रक्षक बनी योद्धा बनी, तमे जंग जीती छे घणी,
सिंह गर्जना ना स्वामि छो, खुमारी ना दातार छो,
अनुकंपा ना ईश्वर छो, करूणा तणा अवतार छो..
जय जय थजो…
तमे तीर्थरक्षाओ करी, अंतरीक्षजी स्थिरता करी,
हजारो युवानो तणी आंतरशुद्धि तमे करी,
पर्युषणानी आराधना शरू करावीती तमे,
पश्चिससोनी उजवणीमां शास्त्रीयता लावी तमे,
तपोवन तणी स्थापना करी, संस्करणनो यज्ञ करी,
शिबीरो थकी, प्रवचन थकी, युवाओ ने तार्या तमे,
वंदन थजो गुरूदेवने......जय जय थजो…
हवे आपना वियोगथी, अंतर भिंजाय अश्रुथी,
शासन पुरूषनी शोधमां, आंखो बनी छे बहावरी,
अम अंगअंग पोकारीने गुरू आपने तरसी रह्यु
दर्शन तमारा पामवा रोम रोम रोमांचित थयुं,
देवलोकथी आवो तमे, धर्मलाभ संभळावो तमे,
उद्धारवा आ बाळकोने फरी गुरू..आवो तमे
जय जय थजो…
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