स्वामी ! तारा स्नेहनो मने धरव नथी, प्यास छीपती नथी,
थाय छे के बस ! घूंट पीधा करुं हजी हजी हजी,
स्वामी ! तारा स्नेहनो मने धरव नथी, प्यास छीपती नथी,
थाय छे के बस ! घूंट पीधा करुं हजी हजी हजी,
स्वामी ! तारा स्नेहनो
स्नेह तो मळ्यो मने घणो , पण ए बधा शरीरना सगानो ,
आत्मानो एक तुं स्वजन छे, तारो मारो साथ छे सदानो,
भाव जेमां स्वार्थ नो लगीर पण नथी, एवा आ संबंधोनी,
थाय छे के बस ! गांठ बांध्या करुं हजी हजी हजी,
स्वामी ! तारा स्नेहनो
सूर्यना किरण वधे घटे छे, मेघराजा पण कदी रूठे छे,
दान आपनारी धरती माता, कोकवार धान चोरी ले छे,
रातदिन वहे छे तारा स्नेहनी नदी, ओट आवती नथी,
थाय छे के बस ! डूबकी मार्या करुं, हजी हजी हजी,
स्वामी ! तारा स्नेहनो
तारो स्नेह पाप थी बचावे, पुण्य नी प्रवृत्तिओ करावे,
मार्ग दुर्गति तणा भीडीने, सदगति भणी सफर करे,
दीप जे जले छे मुजने मार्ग चींधवा, मंझीले लई जवा,
थाय छे के बस ! दीप झील्या करुं, हजी हजी हजी
स्वामी ! तारा स्नेहनो मने धरव नथी, प्यास छीपती नथी,
थाय छे के बस ! घूंट पीधा करुं हजी हजी हजी,
हजी हजी हजी,
हजी हजी हजी,
स्वामी ! तारा स्नेहनो
स्वामी तारा स्नेहनो (Hindi Lyrics) जैन स्तवन |
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