श्री सीमंधर स्वामी ने विनंती (Hindi Lyrics) जैन स्तवन



स्वस्ति श्री महाविदेह क्षेत्रमा 
जिहा राजे तिर्थंकर विश , तेने नमुं शीश,
    कागल लखुं कोडथी
  स्वामी जघन्य तिर्थंकर वीश छे , 
उत्कृष्ठ एकसो ने सित्तेर , तेमा नहीं फेर
    कागल लखुं कोडथी

   स्वामी बार गुणे करी युक्त छे
अंगे लक्षण एक हज़ार , ऊपर आठ सार,
     कागल लखुं कोडथी

  स्वामी चोत्रिश अतिशय शोभता
वाणी पांत्रीस वचन रसाल , गुणों तणी माल,
       कागल लखुं कोडथी

  स्वामी गंध हस्ती सम गाजता,
त्रण लोक तणा प्रतिपाल , छो दिन दयाल
      कागल लखुं कोडथी

  स्वामी काया सुकोमल शोभती
शोभे सुवर्ण सोवन वान , करू हूं प्रणाम 
     कागल लखुं कोडथी
 स्वामी गुण अनंता छे ताहरा
एक जीभे कहया केम जाय , लख्या न लखाय 
     कागल लखुं कोडथी

 भरत क्षेत्रथी लिखितंग जाणजो
आप दर्शन इछुक दास , राखु तुम आश 
     कागल लखुं कोडथी

   में तो पूर्वे पाप किधा घणा
जेथी आप दर्शन रहया दूर , न पहोंचु हज़ूर
     कागल लखुं कोडथी
 मारा मनना संदेह अति घणा
आप विना कहया केम जाय , अंतर अकलाय
        कागल लखुं कोडथी

   आड़ा पहाड़ पर्वत ने डूंगरा
तेथी नज़र नाखी नव जाय , दर्शन केम थाय,
    कागल लखुं कोडथी
  स्वामी कागल पण पहोंचे नहीं
नवी पहोंचे संदेशों साई , हु तो रहयो आहि
         कागल लखुं कोडथी

   देवे पांख दीधी होत पीठमां
उड़ी आवु देशावर दूर , तो पहोंचु हज़ूर
     कागल लखुं कोडथी
  स्वामी केवलज्ञाने करी देखजो
मारा आतमना छो आधार , उतारो भवपार,
     कागल लखुं कोडथी

ओछु अधिकु ने विपरीत जे लखयु
माफ करजो जरूर जिनराज , लागू छु तुम पाय 
      कागल लखुं कोडथी
  संवत 1853 नी सालमा
हरखे हर्षविजय गुणगाय , प्रेमे प्रणमु पाय
      कागल लखुं कोडथी




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