Vage Sharnai Kera Sur Re (Hindi Lyrics) Jain Song | Lagna geet



लेखक - प.पू.गणिवर्य श्री उदयरत्न म.स.

वागे शरणाई केरा सुर रे... (२)
आखुं जगत थयुं चकचूर रे...
घेलीरे थइ सहु देवोनी दुनिया...(२)
ऋषभना रूप थी मजबूर रे....
वागे शरणाई केरा सुर रे...
आखुं जगत थयुं चकचूर रे...

सूरपती विनवे व्हाला करूणा ना क्यारा....
वितरागी आदिश्वर छो आदि करनारा....
लोको ने काज करो विवाह पहेलो....
देवो ने दानवो आतुर रे....
वागे शरणाई केरा सुर रे...
आखुं जगत थयुं चकचूर रे...

नाभिना लाल नामे चुनरी छे लाल लाल...
सिंदूर ने कंकु वळी सघळुए लाल लाल...
लचकाती चाल वाळी कन्या ना भाल मां...
सपनाना रंगो भरपूर रे..
वागे शरणाई केरा सुर रे...
आखुं जगत थयुं चकचूर रे...

मांडवडो बांध्यो रूडो विनीता ने आंगणे....
नंदा-सुमंगलानां हैया ने बारणे...
अग्नी नी शाखे वळी अप्सरा ना गान थी...
"उदय" उल्लास थी मशगुल रे...
वागे शरणाई केरा सुर रे...
आखुं जगत थयुं चकचूर रे...
Vage Sharnai Kera Sur Re (Hindi Lyrics) Jain Song | Rushabh Katha
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