तुं ज साचुं तीर्थ मारुं, तुं ज सर्वस्व अमारुं
तुज शरणमां मोक्षमार्ग पामुं.....रे
ज्ञाननो सागर अमारो आत्मानो तुं किनारो
तुज चरणमां शून्यताने पामुं.....रे
ओ... तारा विनानो हर भव छे अधूरो,
तुज ने मळी पूरो थयो जाणे......
गुरुदेव उपकार तारो , आ संसारथी उगार्यो...
केम करुं भरपाई ? तारा ऋण नी हुं भरपाई (2)
गुरुदेव उपकार तारो, आ संसारथी उगार्यो....
तारा जेवो हुं बनी जाउं, तारो पडछायो कहेलावुं ,
तारा ऋणनी हुं भरपाई , तारा ऋणनी हुं भरपाई....... हो..
भवना फेराओ अनेकोअनेक फर्या....
साची समजणथी अमे वंचित हर भव रह्या
तारो हाथ शुं झाल्यो, मळ्यो मने किनारो
तारा हाथमां सघळुं हुं सोंपुं रे.....
गुरुदेव उपकार तारो , आ संसारथी उगार्यो ...
केम करुं भरपाई ? तारा ऋणनी हुं भरपाई (2)
गुरुदेव उपकार तारो, आ संसारथी उगार्यो
तारा जेवो हुं बनी जाउं , तारो पडछायो कहेलावुं ,
तारा ऋणनी हुं भरपाई , तारा ऋणनी हुं भरपाई....... हो..
Gurudev Upkar Taro (Hindi Lyrics) Jain Guru Song |
Comments
Post a Comment