Jagajan Manaranje Re (Hindi Lyrics) Jain Stavan


जगजन मनरंजे रे, मन्मथ बल भंजे रे; 
नवि राग नवि दोष, तुं अंजे चित्तशुं रे. 

शिर छत्र बिराजे रे, देवदुंदुभि बाजे रे; 
ठकुराई ईम छाजे, तो हि अकिंचणो रे. 


थिरता धृति सारी, वरी समता नारी; 
ब्रह्मचारी शिरोमणी तो पण तुं सुणीयो रे. 

न धरे भव रंगो रे, नवि दोषासंगो रे; 
मृगलंछन चंगो रे, तो पण तुं सही रे. 

तुम गुण कुण आखे रे, जग केवली पाखे रे; 
सेवक जश भाखे रे, अचिरासुत तुं जयो रे.
Jagajan Manaranje Re (Hindi Lyrics) Jain Stavan

Comments