निरखी नयणा भींजाय, निरखी नयणा भींजाय (२)
श्री गिरनारी नेमप्रभुने निरखी नयणा भींजाय
व्हालाजीनुं मुखडुं देखी, हियडे हरख न माय
जिनेश्वर ! निरखी नयणा भींजाय (२) I१I
स्वामी स्पर्शे रोमराजी, पलमां पुलकीत थाय (२)
श्री जिनवरना गुणला गाता, आनंद अति उभराय
जिनेश्वर ! निरखी... |२|
श्यामल वरणी देहडीने, उज्जवल एनी कांती (२)
अषाढमासे घनघोर मेहे, वीज तणी ए भ्रांती
जिनेश्वर ! निरखी... ।३।
पदवी लही षट्जीवत्राता, आपता सौने शाता (२)
सहसावनमां साधनाए, हुआ केवलज्ञाता
जिनेश्वर ! निरखी... |४|
चंदनवने सर्वनाशे, मोर तणे टहूकार (२)
श्री नेमीश्वर नाम समरता, दूर टळे विकार
जिनेश्वर ! निरखी…|५|
आर्य अनार्यभूमि विहरता, जिन वचनामृत पाता (२)
श्री गिरनारनी पंचमढंके, मुगतिपतिए थाता
जिनेश्वर ! निरखी... |६|
घेर बेठां ए गिरि ध्यावे, भवचोथे शिव सजावे (२)
हेम वदे जे ए गिरि सेवे, वल्लभपदने पावे
जिनेश्वर ! निरखी... |७|
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