जे प्रभु तणा संस्मरणथी संताप सव मनना टळे
जे प्रभु तणा दर्शन थकी दुःख दुरित दर्द दूर टळे
जे पशु तणा वंदन थकी विरमे विषयने वासना,
गीरनार मंडण नेमिजनने भावथी करुं वंदना
रमणीय राजुल जेवी नारी त्यजी दीधी पळवारमां
रमणीनुं रुप विरुप लाग्युं, पशु तणा पोकारमां
राजीमतीनुं शुं थशे क्षण मात्र नव करी कल्पना
गीरनार मंडण नेमिंजनने भावथी करुं वंदना
तोरण सुधी आवीने पण पाछा वक्क्या जीव प्रेमथी
निर्दोष पशुओनी कतल जोवाय केम प्रभु नेमथी
अंतर बने करूणा भीनुं बस आटली मुज प्रार्थना
गीरनार मंडण नेमिजनने भावथी करुं वंदना
जे भोगना काळे अनुपम, योगने साधी गया
वनिताना संगम काळमां, विरती शुं प्रीत बांधी गया
महासत्ताशाळी शिरोमणी प्रभु सवनी करुं याचना
गीरनार मंडण नेमिजनने भावथी करुं वंदना
निष्काम निर्मल निर्विकारी नेमिनाथ नमुं सदा
चाहुं हु उजजवल जीवनमां लागे कलंक नहीं कदा,
अविकारता रहो दटमां बस आटली मुज प्रार्थना
गीरनार मंडण नेमिजनने भावथी करुं वंदना
अंजन सरिखा पण निरंजन राग द्वेष विनाशथी
छो श्याम पण जीवन तमारुं शोभे शुभ प्रकाशथी
केवो विरोधाभास तारा रूपनी शी कल्पना
गीरनार मंडण नेमिंजनने भावथी करुं वंदना
रैवतगिरिना शिखर पर प्रभु मुकुट मणी सम ओपता
मनोहारिणी मुद्राथी स्मृतिमां बोधिना बीज ओपता
हैयुं छे हर्षविभोर आजे हवे न रही कोई झंखना
गीरनार मंडल नेमिजिनने भावथी करुं वंदना
उत्तंगगिरि गीरनार नजरे दूरथी देखाय जयां
उभराय आनंद रोमे रोमे नयन बे छलकाय त्यां
मळशे हवे दर्शन प्रभुनुं श्वासे श्वासे भावना
Girnar Manda Nemi Jin Ne (Hindi Lyrics) Jain Stuti |
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