Vairag Ni Mahima Bhari (Hindi Lyrics) Jain Diksha Song


 

रमे रोम रोम...(2)
रमे रोम रोम..रमे रोम रोम..रजोहरण तणा रंगे..
एना अंग अंग..एना अंग अंग..मोह संगे चड्या जंगे..
वैराग नी महिमा भारी...वैराग नी छे बलिहारी..(२)
वैराग....

 

  सत्त्व फोरवे एवुं के, मोह जाये छे हारी..
वैरागी आगेकुछ करे वैराग ने मनमां धारी..
वैराग नी महिमा भारी...वैराग नी छे बलिहारी..
वैराग ने मनमां धारी...वैराग नी छे बलिहारी..
वैराग....

सुखमय जीवन त्यागे छे, सामे थी चाली,
सघळुं त्यागे छे तोये, मुखपर छे लाली..{२}
जीवनभर नो त्याग, आवो केवो वैराग
चाहे, गरमी हो..हो चाहे सर्दी भारे..
महावीर ना, सैनानी, महावीर नी वर्दी धारे..
वैराग नी महिमा भारी...वैराग नी छे बलिहारी..
वैराग ने मनमां धारी...वैराग नी छे बलिहारी..
वैराग....(३)

प्रभुने जीवन सोंपे, स्वयंने भूलीने,
गुरुनी आना पाळे, अहम ने भूलीने..{२}
आझादी नष्ट करे, सखत कष्ट सहे,
जीवन, साधु, जीवे छे जैन साधु,
मन पर, काबु, वैराग नो केवो जादु..
वैराग नी महिमा भारी...वैराग नी छे बलिहारी..(२)
वैराग....

वैरागी जाये, विरती वाटे..विरती वाटे मुक्ति माटे..
मुक्ति माटे...विरती वाटे (४)
Vairag Ni Mahima Bhari (HindiLyrics) Jain Diksha Song
Vairag Ni Mahima Bhari (Hindi Lyrics) Jain Diksha Song


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