राग : एक प्यार का नगमा...
त्यां मुजने जवा दे नहीं,
मारा कर्मो केवा भारे,
मारी मुक्ति थवा दे नहीं…
मने थाय घणुं मनमां,
के आ मोको संभाळी लउं,
मंझलि छे नजर सामे,
एने दोडीने झाली लउं
पण काया बनी दुश्मन,
एक डगलुं उपाडे नहीं..
मारा कर्मो…
आ कुमळा हृदय माथे,
बहु बोज लीधा छे में
कडवा घुटडा जगनां,
ना छूटके पीधा छे में,
हवे लागी तरस जेनी,
ते अमृत पीवा दे नहीं…
मारा कर्मो…
हुं आगळ जवा मांगु,
मने पाछळ हटावे छे,
हुं पावन थवा मागुं,
मने पापी बनावे छे,
हवे शुं करवुं मारे,
कोई मारग सुझाडे नहीं…
मारा कर्मो…
Comments
Post a Comment