राज तणी नही माया... ऋषभने…
राज तणी नही माया
जनजनना हैयामां ऋषभ…राजा छोने छवाया...
राजा छोने छवाया...ऋषभने…
माता कहेती काल हजु तो, दीकरो पाटे चढ्यो तो
नाभि भूपना कुलनो दिवो, काले राजा बन्यो तो
परमनी केडीए एकल चाल्या मरूदेवानां जाया
ऋषभने राज तणी नही माया…
हसतां हसतां काल सुधी जे चूमी भरती गाले
रडता रडता ए माताए तिलक कर्युं छे भाले
झूरती त्रण त्रण नारी कहेती कोणे तमोने भरमाया...?
ऋषभने राज तणी नही माया…
लोच कर्यो चउमुष्टि प्रभुए इन्द्रनी विनती जाणी
वीतरागी कुंवरने देखी सौनी आंखे पाणी
चैतरना वायरे ऋषिना केश केवा लहेराया
ऋषभने राज तणी नही माया…
सूर्य - उदयना समये लोको शोधे प्रभुनी छाया...
ऋषभने राज तणी नही माया...
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