Rumjhum Vahe Rujuvalika (Hindi Lyrics) Jain Nandprabha Song



रुमझुम वहे ऋजुवालीका प्रभु वीरना स्पंदन धरी,
रणझण करे छे घंटडी राम जलतरंग फरी फरी;
खळखळ करे कलशोर एवा पारदर्शी जले भरी,
पळ पळ कहे भगवंतनां केवल्य नी घटा खरी…१

तप साधना अद्भुत अगोचर आचरी आव्या प्रभु,
पर्वत गुफा अने जंगलोमां संचरी आव्या प्रभु;
उपसर्गनी वणझारने जीती करी आव्या प्रभु, 
संकल्प घाती कर्म करवानो धरी आव्या प्रभु...२

छद्मस्थ भाव तणो समय अंतिम निहाळे आ नदी,
केवल्य बोध तणो समय आदिम निहाळे आ नदी;
आसन निहाळे गोदोहिका देह भाळे सुवर्णमय,
तप तेने जाजरमान मुद्रा, आतमां अविचल अभय…३

छठनो हतो तप वीरने एकांत प्रभु संगे हतुं,
जुवालुकाना पवनने स्पर्शन प्रभु अंगे हतुं;
भगवंत ज्यारे घाती कर्मना मेलने धोता हतां,
जळ ऊछळी ऊछळी प्रभुने हर्षथी जोतां हतां...४

भगवान श्री महावीर शुकल ध्यान ने धारण करे,
परिपर्ण केवळ ज्ञान दर्शन वीरनो आत्मा वरे;
कैवल्य कल्याणक तणी ए क्षण निहाळे आ नदी,
ने तेरमां गुणठाणे प्रभुने प्रथम भाळे आ नदी…५

आव्या करोडो देव वाग्या दिव्य वाजिंत्रो घणा,
मांगल्यकारी समवसरण तणी थईती स्थापना;
भगवंत पहेलीवार बेठा देशना देवा अहीं,
महाभाग्यशाळी आ नदी ते दृश्यने जोती रही...६

सागम धनीसा सर गंजया मालकौस तणा मधुर,
महापर्षदामां भक्तिथी आव्या मज सुर ने असुर;
एक अलौकिक पळे प्रभु बोल्या प्रथम मंगल वचन,
जुवालुकाए भक्तिभावे कर्युं तेनुं आचमन...७

ना योग्य जीव हतां अहीं दीक्षा न लीधी कोईए,
प्रभु वीर नीरखे ज्ञानथी अन्यत्र विहरवुं जोईए;
तत्काल प्रभु विहरी गया ते दृश्य नदी छेल्ले जुए,
प्रभु दूर चाल्या जाय छे ते जोईने हिबके रुए...८

खुल्ला पगे आव्या प्रभु ने गया स्वर्ग कमळ उपर,
साधक रूपे आव्या हता ने गया थईने तीर्थंकर;
आव्या हता एकांकी, नीकळ्या क्रोड देवोने लई,
जुवालुका नदी आ निहाळी तीर्थ सम पावन थई...९

रुजवाकानी रेतमां ढळती बपोरे आवजो,
संध्या सुधी केवल्य पळने खूब मनमां लावजो;
कैवल्य कल्याणक तिथी वैशाख सुद दशमी हती,
ए दिने भावे जुहारजो ऋजुवालीका तीरथ नदी...१०

जुवालुकानी भूमि पर नंदप्रभा तीरथ बने,
चीमख जिनेश्वर चैत्य बनशे समवसरणनां आंगणे;
सद्धर्म ने सभावनानी अही सरवाणी वहो,
सबोध ने सद्भावनुं बळ सतत संवर्धित रहे...११

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