गरवा गिरनारना स्पर्श पामी खील्युं,
अंतर नुं उपवन जाणे महेकायुं,
मन गाये आज उमंगे, नाचे आज तरंगे,
नेमनाथ ने भेटवा मन तलसे..
मन गाये आज उमंगे…
रैवते शिखरो ने जोई ने मन हरखे,
सप्तरंगी गगने संग धजाओ केवी फरके,
पंखीओनो कलरवमां गिरनारे नेमनाथ तुं गुंजे,
पवनोनी लहेरोमां तारा स्पंदनो मने स्पर्श,
मन भावन गिरी जोई मनडुं मलके,
मन पावन गिरी भेटी दिलडुं हरखे..
कर्ण विहार प्रासादे नेमनाथ केवा सोहे,
झगमगता दीवाओमां नेमनाथ मन मोहे,
नेम तमारा दर्शने सौ भक्तोना मन डोले,
शिवादेवीना जाया मारा नेमनी जय जय बोले,
सौ चालो गिरनारे नेमजी जुहारीये,
नव्वाणुं करी ने समकित निर्मळ करीये..
मन गाय आज उमंगे...
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