प्रभु मांगु शु तारी कने , वण माँगयु ते दिधु मने -2
एनो आभार मांनु छू , उपकार हु मानु छू
मैं करी हशे कोई भवमां , मांगणी देहसुखनी -2
पण ते करावी चाहना मने आतम सुखनी
देहाध्यास घटाडयो जे , आत्म ज्ञान कराव्यु मने-2
एनो आभार मांनु छू , उपकार हु मानु छू
मैं इच्छी हशे अनुकूलता , संसार वृद्धि करे -2
पण ते दीधी अनुकूलता ,दर्शन विशुद्धि करे
मिथ्यामार्ग छोडवयो ते , सम्यग मार्ग देखाडयो मने-2
एनो आभार मांनु छू , उपकार हु मानु छू
मैं झंख्या हशे संयोग जे बधा स्वार्थ लक्षमीज होय
पण ते दीधा संयोग छे परमार्थ लक्ष्मी होय
मारो स्वार्थ घटाडयो जे , परमार्थ कराव्यू जे -2
एनो आभार मांनु छू , उपकार हु मानु छू
मैं चाह्या हशे सम्बन्धो जे, मुझ राज पूर्ति करे
पण ते दीधा सम्बन्धो जे वैराग्य नी वृद्धि करे -2
मारो राज घटाडयो जे , वैराग्य वधारयो जे -2
एनो आभार मांनु छू , उपकार हु मानु छू
मैं मांगी हशे बुद्धि एवी , जे तर्कमा कुशल करे
पण ते दीधी सुमति जेथी मारी श्रद्धा नु बल वधे -2
मारी बुद्धि सुधारी जे , मारी श्रद्धा वधारी जे -2
एनो आभार मांनु छू , उपकार हु मानु छू
मैं मांगी हशे संपत्ति जे , पापनु बंधी ज होय
पण ते दीधी गुण संपत्ति पुण्यानु बंधी होय -2
म्हारा दोषों घटाडया जे , सद्गुणों प्रगटव्या जे -2
एनो आभार मांनु छू , उपकार हु मानु छू
मैं झंख्या हशे शरणा एवा , मुझ जीवन रक्षा करे
पण ते दिधु शासन मने मुझ आत्म सुरक्षा करे -2
जिनशासन स्थाप्यू ते , एमा आसन आप्यु मने -2
एनो आभार मांनु छू , उपकार हु मानु छू
प्रभु मांगु शु तारी कने (Hindi Lyrics) जैन स्तवन |
जहां पर लक्ष्मी लिखा है वहां पर लक्षीज है
ReplyDeleteजहां पर राज लिखा है वह शब्द राग है
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