गिरिराज तारू नाम मारा श्वासोश्वासे गुंजतुं,
गिरिराज तारा ध्यानथी,दुष्कर्म वादळ धुजतुं,
तुज "पुण्यराशी" नाम छे,शुभ पुण्य मुज छलकावजे,
गिरिराज वंदी विनवुं, मुज पापने तुं निवारजे 1.
गिरिराज तारा दर्शथी, मुज आखडी पावन थई,
गिरिराज तारा स्पशॅथी,मुज देहडी पावन थई,
"शत्रुजय" तुज नाम छे, शुकराज परे जय आपजे,
गिरिराज वंदी विनवुं, मुज पापने तुं निवारजे 2.
गिरिराज तुजने स्पशॅवा,नर-नारीओ सहु दोडता,
गिरिराज तुजने भेटीने,सहु भक्तोना दिल डोलता,
तुज "विमलगिरी" आ नाम छे,तो विमल सहुने बनावजे
गिरिराज वंदी विनवुं, मुज पापने तुं निवारजे 3.
गिरिराज तुं छे शाश्वतो,त्रण लोकमा महेकाय छे,
गिरिराज तुज महिमा सुणी, भवी आतमा मलकाय छे,
"शाश्वतगिरी" तुज नाम छे,तो शाश्वतुं सुख आपजे,
गिरिराज वंदी विनवुं, मुज पापने तुं निवारजे 4.
गिरिराज तुज मा लाखो समकित देवतानो वास छे,
चौद राजमां त्रण भुवनमां, महातीर्थनीज सुवास छे,
छे "सुरगिरि" तुज नाम तो, मुज असुरता निवारजे,
गिरिराज वंदी विनवुं, मुज पापने तुं निवारजे 5.
गिरिराज तुं गुजॅर तणा, सौराष्ट्रनो शणगार छे,
आ विश्वना भवि आतमानो,तुं हृदय धबकार छे,
"सौंदयगिरी" मुज जीवनमां, सौंदर्यता विकसावजे,
गिरिराज वंदी विनवुं, मुज पापने तुं निवारजे 6.
गिरिराज तारा दशॅथी, हुं भव्य छुं समजाय छे,
मने मुकित मळशे निकटमां, विश्वास एवो थाय छे,
"अजराअमर" तुज नाम छे,मम जन्म-मुत्यु निवारजे,
गिरिराज वंदी विनवुं, मुज पापने तुं निवारजे 7.
गिरिराज परमानंदी हुं, त्रणे शाश्वतो मुजने मळ्या,
सिद्धचकजी-नवकार ने, आ सिद्धगिरी मुजने फळ्यां,
"सिद्धाचल" महातीर्थ तुं सन्मागॅ मुजने बतावजे,
गिरिराज वंदी विनवुं, मुज पापने तुं निवारजे 8.
गिरिराज त्रणे लोकमां, तीर्थो तणो तोटो नथी,
अतिमुक्त-केवली वणॅवे,के तुज सम जोटो नथी,
तुज नाम "पवॅतराज" छे,तो गवॅ मुज ओगाळजे,
गिरिराज वंदी विनवुं, मुज पापने तुं निवारजे 9.
गिरिराज तुजने पेखतां, गजराज मुज देखाय छे,
अंबाडी सम चौमुखजी, मंदिर केवुं सोहाय छे,
श्री "महातीरथ" तुज नाम छे, अमने महान बनावजे,
गिरिराज वंदी विनवुं, मुज पापने तुं निवारजे 10.
गिरिराज तारी गोदमां,साधु अनंता शिव वयॉ,
वीस कोडीशुं पांडव तणा, सहु कर्म-मल ते संहयॉ,
तुज "सिद्धक्षेत्र" आ नाम छॅ, तो सिदिधी-वधु मने आपजे,
गिरिराज वंदी विनवुं, मुज पापने तुं निवारजे 11.
गिरिराज नीजॅल छठ्ठ करी, जो सप्त-यात्रा थाय छे,
ते आतमानी मुक्ति तो त्रीजे भवे ज मनाय छे,
"भगीरथगिरी" तुज नाम छे, बस काम एवुं करावजे,
गिरिराज वंदी विनवुं, मुज पापने तुं निवारजे 12.
गिरिराज तारी जय-तळेटी वंदी सहु यात्रा करे,
अने शांतिजिनने भेटीने, सहु भक्तोना दिलडां ठरे,
श्री "महागीरी" तुज नाम छे, महा-शांति सहुने आपजे,
गिरिराज वंदी विनवुं, मुज पापने तुं निवारजे 13.
गिरिराज तुज रायण तले, त्रेवीस प्रभुजी समोसयॉ,
अने श्रवणकरी प्रभु देशना, अनंता जीव मुक्तिवयॉ,
"रैवतगिरी" तुज नाम छे,नेमिनाथ पण भेटावजे,
गिरिराज वंदी विनवुं, मुज पापने तुं निवारजे 14.
गिरिराज गरिमा ताहरी, कोण जगतमा गाइ शके,
ए सूरजकुंडे पुण्यशाळी , आतमा न्हाई शके
तुज ज्योतिरूप ए नाम तो, हैवे मिथ्याद्रष्टि मिटावजे
गिरिराज वंदी विनवुं, मुज पापने तुं निवारजे 15
गिरिराज कुसुमने भेटवा, जिम भूंगला ललचाय छे ,
तिम देशी के परदेशी हो,तने भेटिने हरखाय छे,
अकलंकगिरि साहू भक्तोना, कर्म कलंक निवारजे,
गिरिराज वंदी विनवुं, मुज पापने तुं निवारजे 16
गिरिराज तुजने भाळु छू ने भान भूली जाऊ छू,
आने खान-पान के मान ने,अपमान विसरि जाऊ छू,
हे भव्यगिरि तुज भक्तिमा,गुलतान मुजने बनावजे,
गिरिराज वंदी विनवुं, मुज पापने तुं निवारजे 17
गिरिराज रायण वृक्ष ने,प्रभु ऋषभ पगला शोभता,
जिनपति सह पुंडरीक स्वामी, भक्तोना दिल मोहता,
सुवर्णगिरि पुंडरीक सम,सुवर्ण गुरु मने आपजे,
गिरिराज वंदी विनवुं, मुज पापने तुं निवारजे 18
गिरिराज आ अवसर्पिणीमा, षोडशे तुम उद्धर्या,
चक्री भारतथी करमाशाए, धन्यताने अनुभव्यु,
महायशगिरि सुण आरझु यश एवो अमने अनवजे
गिरिराज वंदी विनवुं, मुज पापने तुं निवारजे 19
गिरिराज तरी कीर्ति छे पातालथी सुरलोकमा,
महिमा अनेरो वर्णवे, सीमंधर पण थोकमा,
तुज नाम इंद्रप्रकाश छे अम ज्ञान ने अंजवाळजे
गिरिराज वंदी विनवुं, मुज पापने तुं निवारजे 20
गिरिराज विद्या शक्तिथी,प्रतिदिन तुजने स्पर्शता,
गुरु पादलिप्त ने बप्पभट्टी,गगन मार्गे आवता,
महाबलगिरि तुज नाम छे, बल एवु मुजने आपजे
गिरिराज वंदी विनवुं, मुज पापने तुं निवारजे 21
गिरिराज तुज सानिध्यमा, पुंडरीक गणधर आविया,
सिद्धि-गति आ गुरुसह, मुनि पंच कोड़ी पामीया
पुंडरीकगिरी तुज नाम छे, निर्लेप गुण मने आपजे,
गिरिराज वंदी विनवुं, मुज पापने तुं निवारजे 22
गिरिराज तुं गिरिराज छे ने ऋषभ तुज शिरताज छॅ,
भले पापी होय के पुनित पण आ ऋषभ सहुनी लाज छे,
तुज "अमरकेतु" नाम छे तो अमरराज बतवाजे,
गिरिराज वंदी विनवुं, मुज पापने तुं निवारजे 23.
गिरिराज तारा मस्तके नवटूंक केवा शोभतां,
जिन गणधरोने मुनिवरोना चरण-पगलां बोधतां,
"महोदयगिरी" तुज नाम छे हवे आत्मोदय प्रगटावजे,
गिरिराज वंदी विनवुं, मुज पापने तुं निवारजे 24
गिरिराज हुं डूबी रह्यो स्वारथतणां सागरमहि,
मने सुख मळे मुज दुःख टळे ,ए भावमां रमतो रही,
श्री "सुमतीगिरी" तुज नाम तो मम दुमॅती दफनावजे,
गिरिराज वंदी विनवुं, मुज पापने तुं निवारजे 25.
गिरिराज में आ शुं कर्युं जीव सुष्टिनां सुखो हर्या,
ईन्द्रिय-सुखने पोषवा सहु जीवने दुःखी कर्या,
"प्रियंकर" तुज नाम छे सहु जीवप्रिय बनावजे,
गिरिराज वंदी विनवुं, मुज पापने तुं निवारजे 26.
गिरिराज हुं केवो अधम-निष्ठुर ने निगुण छुं,
मन-वचन ने काया थकी हुं सर्व पापे पूणॅ छुं,
"द्रढशकितगिरी" तुज नाम छे तो कठिन कर्म खपवाजे,
गिरिराज वंदी विनवुं, मुज पापने तुं निवारजे 27.
गिरिराज सुणजे आरझू मने दुगॅति देखाय छे,
हवे अन्यथा शरणे नहिं, बस ताहरी ज सहाय छे,
"सुभद्रगिरी" तुज नाम छे हवे भद्रता विकसावजे
गिरिराज वंदी विनवुं, मुज पापने तुं निवारजे 28.
गिरिराज तुजमां भव्यता ने शोभती वळी दिव्यता,
तुज चरणमां टळी जाय छे धाती कर्मनी अधमता,
श्री "पदगिरी" तुज नाम छे शाश्वत लक्ष्मी आपजे,
गिरिराज वंदी विनवुं, मुज पापने तुं निवारजे 29.
गिरिराज तारा पुण्यनी मने थाय छे ईष्यॉ धणी,
नव्वाणु पूर्व पधारीया श्री आदिनाथ जगधणी,
"मरुदेवगिरी" सुण दिलमही एकवार प्रभु पधरावजे,
गिरिराज वंदी विनवुं, मुज पापने तुं निवारजे 30.
गिरिराज शेत्रुंजी नदी तुज चरणमां आळोटती,
हिंसक अने पापीतणां ,सहु पापने प्रक्षालती,
"उज्जवलगिरी" तुज नाम छॅ मुज मलिनता निवारजे,
गिरिराज वंदी विनवुं, मुज पापने तुं निवारजे 31.
गिरिराज तारा नमनथी सहु जीव सुखडा पामतां,
गिरिराज तारा स्मरणथी सहु दुःखलडां विरमातां,
"आनंदगिरी" तुज नाम छे आनंद अक्षय आपजे,
गिरिराज वंदी विनवुं, मुज पापने तुं निवारजे 32.
गिरिराज तारी भक्ति अमने मुकित भणी लइ जाय छे,
हरदम कदममां दम भरी तुं व्हालो सहुनो थाय छे,
"अनंतशकित" नाम छे तो शक्ति एवी ज आपजे,
गिरिराज वंदी विनवुं, मुज पापने तुं निवारजे 33.
गिरिराज हुं निश्चित छुं तुम रटण छे प्रति श्वासमां,
तुज नामरूपी नागदमनी छे हवे मुज पासमां,
"क्षेमंकार" तुज नाम छे तो विषय -नाग भगावजे
गिरिराज वंदी विनवुं, मुज पापने तुं निवारजे 34.
गिरिराज तुं सवि काळमां छे कल्पतरू -चिंतामणि,
तुं काम-कुंभ ने कामधेनुं कल्पवल्ली-सुरमणी,
हे "राजराजेश्वरगिरी" मने मुकित-ताज अपवाजे,
गिरिराज वंदी विनवुं, मुज पापने तुं निवारजे 35.
गिरिराज तारा मिलननी केवी अनुपम स्पंदना,
हुं परम-तुप्पित पामियो ,करुं हर्षथी शुभ प्रार्थना,
हे "सवॅ सिद्धिदायकगिरी" चैतन्य सहुनो तारजे,
गिरिराज वंदी विनवुं, मुज पापने तुं निवारजे 36.
36 स्तुति गिरिराज नामे (Hindi Lyrics) जैन स्तुति |
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