श्रुत दिप नी अजवालिका , श्रुत देवता मा सरस्वती
श्रुत हीर नी रखवाली महासागर समी मा भगवती,
तारी कृपा थी आज हु, करवा चाहू श्रुत गुण स्तुति,
जिन वचन नी रक्षा तणु , बळ आपजो हृदये धरी,-2
जे ज्ञान थी भावु सदा , समकित दृष्टि ने वळी,
जे ज्ञान थी मळती सदा , मुझ हृदय ने शांति खरी,
जे ज्ञान थी निर्वे सदा , अवगुण विषय नी वासना,
प्रभु वीर ना हु गीत गायी , करू श्रुत ज्ञान ने वंदना-2
जे ज्ञान ना अंजन थकी , प्रकटे सदा निर्लेपता,
जे ज्ञान नी सरगम सदा , सुर रचे वैराग्य ना ,
जे ज्ञान नी प्रीति थकी , हृदये रमे वीतरागता,
प्रभु वीर ना सिद्धि प्रदायी , श्रुत ज्ञान ने वंदना-2
जे ज्ञान नी सरिता वहे , सुरीश्वरो ना ध्यान मा,
जे ज्ञान ना झरना वहे , गुरु वाणी रूप उपदेश मा,
जे ज्ञान मुजने लइ जशे , झटपट प्रभु ना वेशमा,
प्रभु वीर ना मुक्तित्व दायीं , श्रुत ज्ञान ने वंदना-2
छे श्रुत जेहना श्वास मा , ने श्रुत जेहना हृदय मा,
छे श्रुत रक्षा जेम ना , संकल्प ने वळी सिद्धि मा,
श्रुत देव नी कृपा वहे , जाणे सदा जस कलम मा,
श्रुत सेवी श्रुत रक्षक गुरु , गुणचंद्रसूरी ने वंदना-2
Shrutgyan Ne Vandana (Hindi Lyrics) Jain Stuti |
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