सुणो चंदाजी
सुणो चंदाजी, सीमंधर परमातम पासे जावजो;
मुजविनंतडी, प्रेम धरीने एणी पेरे तुमे संभळावजो;
जे त्रण भुवननो नायक छे, जस चोसठ इन्द्र पायक छे;
ज्ञान दरिसण जेहने लायक छे,
जेनी कंचन वरणी काचा छे, स घोरी लंछन पाया छे;
पुंडरीगिणी नगरीनो राया छे.
सुणो चंदाजी, सीमंधर परमातम पासे जावजो;
बार पर्षदामांहि बिराजे छे, जस चोत्रीस अतिशय छाजे छे;
गुण पांत्रीश वाणीए गाजे छे.
सुणो चंदाजी, सीमंधर परमातम पासे जावजो;
भवि जनने जे पडिबोले छे, तुम अधिक शीतल गुण सोहे छे;
रूप देखी भविजन मोहे छे.
सुणो चंदाजी, सीमंधर परमातम पासे जावजो;
तुम सेवा करवा रसीयो छुं, पण भरतमां दूरे वसीयो छुं;
महामोहराय कर फसीयो छुं,
सुणो चंदाजी, सीमंधर परमातम पासे जावजो;
पण साहिब चित्तमां धरीचो छे, तुम आणा खडग कर ग्रहीयो छे;
पण कांइक मुजथी डरीयो छे.
सुणो चंदाजी, सीमंधर परमातम पासे जावजो;
जिन उत्तम पूंठ हवे पूरो, कहे ‘पद्मविजय’ थाउं शूरो;
तो वाधे मुज मन अति नूरो.
सुणो चंदाजी, सीमंधर परमातम पासे जावजो;
Suno Chandaji Hindi Lyrics Jain Stavan |
Comments
Post a Comment