साक्षात प्रभु मने ना मळ्या,
तेनो जरी अफसोस ना,
गुरु तु मळ्यो तो प्रभु मळ्या,
अंतर महीं परितोष आ;
गुणरत्नो आपो शिष्यने,
हैये करो पदार्पणम्,
उपकारी गुरुवर चरणमां,
सर्वस्व मारु समर्पणम् 1
हृदयमां शासन वसे ने,
बुध्धिमां तक घणा,
मुखमहीं शास्त्रो वसे ने,
आत्ममां निःस्पृहना;
महाव्रतो तणा पालन महीं,
तुज जीवन निर्मल दर्पणम्,
उपकारी गुरवर चरणमां,
सर्वस्व मारु समर्पणम् 2
भटकेल भववने पथिकने,
सन्मार्गदाता आप छो,
स्वामी सखा गुरु आप छो,
अम बाळना मा-बाप छो;
पुण्योदये आ भव मळ्या,
मळजो मने भवान्तरम,
उपकारी गुरुवर चरणमां,
सर्वस्व मारु समर्पणम् 3
तुज मौनमां पण बोध छे,
वैराग्यरसनो धोध छे,
अतिचारो पर तने क्रोध छे,
सुखशीलतानो विरोध छे;
अजोड आप गुरु मळ्या,
हर्षे करे मन नर्तनमु,
उपकारी गुरुवर चरणमां,
सर्वस्व मारु समर्पणम् 4
संसारथी तमे उध्धर्यो,
संस्कार आपी तमे घड्यो,
अविनय कर्यो में आपनो,
तोये मनमां नवि धर्या
उपकार तारा केम भुलु,
नित करु गुण कीर्तनम,
उपकारी गुरवर चरणमां
सर्वस्व मारु समर्पणम् 5
अविनित ने उध्धत भले,
तुज आज्ञाथी विपरित भले,
मोहरायना वशमां भले,
विषयो महीं परवश भले;
पण शिश पर फरतो रहो,
आशिषभर कर स्पर्शनम्,
उपकारी गुरवर चरणमां,
सर्वस्व मारु समर्पणम् 6
भुलो करु छु हुं घणी,
करतो रहीश भूलो घणी,
सुधारजे गुरमां! मने,
दोषोनी फोजने अवगणी;
वात्सल्य तारु पामवा,
तुज गोदनुं आकर्षण,
उपकारी गुरुवर चरणमां,
सर्वस्व मारु समर्पणम् 7
अज्ञानना अंधकारने,
मिटाववा सूरज तमे,
दोष दुशमनोने काढवा,
सैनिकतणी फरज तमे;
माळी बनो मुज जीवनना,
विरागनुं करो वर्धनम्,
उपकारी गुरवर चरणमां,
सर्वस्व मारु समर्पणम् 8
अरिहंतने ओळखावनारा,
हे गुरु! वंदन तने,
जिनधर्मने समजावनारा,
हे गुरु! नमन तने;
अनंत छे उपकार तारा,
शेना करु हुं वर्णनम्,
उपकारी गुरुवर चरणमां,
सर्वस्व मारु समर्पणम् 9
जो आवो हृदय सिंहासनम् तो,
थाये कर्मो विसर्जन,
जो जो नयनमां अंजन”,
तो थाये शुभनुं दर्शनम्;
भावो जे उमट्या आत्ममां,
तुजने कर्या सर्वार्पणमु,
उपकारी गुरवर चरणमां,
सर्वस्व मारु समर्पणम् 10
प्रेम तारो त्रण भुवनमां,
भानु जेम प्रभातनो,
जगाडे भीतरथी मने,
भगाडे दोष प्रमादनो;
ब्रह्मांडमां जयघोष तारो,
गुंजे छे जयसुंदरम्,
उपकारी गुरुवर चरणमां,
सर्वस्व मारु समर्पणम् 11
Sarvasva Maru Samarpanam - Guru Samarpanam (Hindi Lyrics) Jain Stuti |
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