HE NEMINATH JINENDRA MARI (Hindi Lyrics) Jain Girnar Stuti


गिरनारगिरि पावन कर्यो महिमा अने गरिमा वडे! 
भोरोलने भासित कर्यो प्रभुता अने प्रतिभा वडे! 
मुज हृदयने सदभाव ने सदगुण वडे शणगारजो! 
हे नेमिनाथ !जिनेन्द्र ! मारी प्रार्थना स्वीकारजो! ॥१॥

महाशंख फूंकी शत्रुओनी शक्तिओ सौ संहरी 
रणभूमि पर श्रीकृष्णना महासैन्यनी रक्षा करी 
बस आ रीते हे नाथ ! आंतरशत्रु मुज संहारजो! 
हे नेमिनाथ !जिनेन्द्र ! मारी प्रार्थना स्वीकारजो! ॥२॥

श्री कृष्णनी पटराणीओ लोभाववा तमने मथी, 
त्यारेय अंतरमां तमारा कामजवर आव्यो नथी! 
हे कामविजयी ! नाथ मारो कामरोग निवारजो! 
हे नेमिनाथ !जिनेन्द्र ! मारी प्रार्थना स्वीकारजो! ॥३॥

राजीमती भूली गई ते स्नेह संभार्यो तमे! 
राजीमतीनो वणकह्यो आत्मा प्रभु! तार्यो तमे! 
हुं रोज संभारुं,मने क्यारेक तो संभारजो! 
हे नेमिनाथ !जिनेन्द्र ! मारी प्रार्थना स्वीकारजो! ॥४॥



पोकार पशुओनो सुणी सहुने तमे प्रभु ! उद्धर्या 
दीक्षा लइ केवळ वरी बहुने तमे प्रभु ! उद्धर्या 
मारी विनवणी छे हवे मुजने प्रभु ! उद्धारजो ! 
हे नेमिनाथ !जिनेन्द्र ! मारी प्रार्थना स्वीकारजो! ॥५॥

स्वामी ! तमे सेवक्जनो तार्या बहु तेथी कहुं 
आ दुःखमय संसारमां रझळी रह्यो छुं नाथ ! हुं 
विनती करुं छुं,करगरुं छुं,नाथ ! मुजने तारजो! 
हे नेमिनाथ !जिनेन्द्र ! मारी प्रार्थना स्वीकारजो! ॥६॥

श्यामल छबी प्रशमार्द्र नयनो रूप आ रळीयामणुं! 
मुखडुं मनोहर आकृति रमणीय स्मित सोहामणुं! 
आ सर्व अंतिम समयमां मुज नयन मां अवतारजो ! 
हे नेमिनाथ !जिनेन्द्र ! मारी प्रार्थना स्वीकारजो! ॥७॥

हे नाथ ! तृष्णा अग्निए जनमोजनम बाळ्यो मने 
ने हाल नयनोमां डुबाडी प्रभु ! तमे थार्यो मने! 
छे झंखना बस एक के मुजने भवोभव ठारजो! 
हे नेमिनाथ !जिनेन्द्र ! मारी प्रार्थना स्वीकारजो! ॥८॥

तमने प्रभु! पामी पळे पळ परमशाता अनुभवुं ! 
हे नाथ !तमने छोडीने बीजे नथी मारे जवुं! 
मारे जवुं छे मोक्षमां मुज मार्गने अजवाळजो! 
हे नेमिनाथ !जिनेन्द्र ! मारी प्रार्थना स्वीकारजो! ॥९॥
हे नेमिनाथ !जिनेन्द्र ! मारी प्रार्थना स्वीकारजो!
हे नेमिनाथ !जिनेन्द्र ! मारी प्रार्थना स्वीकारजो!


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