समताथी दर्द सहु प्रभु एवुं बळ देजो
मारी विनंती मानीने मने आटलुं बळ देजो...
कोई भवमां बांधेला मारा कर्मो जाग्या छे
कायाना दर्दरूपे मने पीडवा लाग्या छे,
आ ज्ञान रहे ताजुं, एवुं सिंचन जळ देजो
दर्दोनी आ पीडा रडवाथी मटशे नहि
हुं कल्पांत करुं तो पण आ दुःख तो घटशे नहि
दुर्यान नथी करवुं एवुं निश्चय बळ देजो
समताथी दर्द सहु...
आ काया अटकी छे नथी थातां तुज दर्शन
ना जई शकुं सुणवाने गुरुनी वाणी पावन,
जिनमंदिर जावानुं फरीने अंजळ देजो
समताथी दर्द सहु...
नथी थाती धर्मक्रिया एनो रंज घणो मनमां
दीलडुं तो दोडे छे पण शक्ति नथी तनमां,
मारी होंश पूरी थाए एवो शुभ अवसर देजो
छोने आ दर्द वधे, हुं मोत नहीं मागुं
वळी, छेल्ला श्वास सुधी हुं धर्म नहीं त्यागुं,
रहे भाव समाधिनो एवी अंतिम पळ देजो
समताथी दर्द सहु...
Samata Thi Dard Sahu (Hindi Lyrics) Jain Song |
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