केटलुं रमणीय छे आ, केटलुं सुखखाण रे,
आ जीवनने जीववाना, छे घणा अरमान रे,
त्रणे लोके गाजे गाजे, एनो रे जयकार,
मोह्यो रे मारो आतमराया, धरे संयमध्यान रे
जागी जागी आंखडी, भागी काळी रातडी,
थयुं माहरुं, सफळ शमणुं...
शमणुं..शमणुं..संयम मारुं शमणुं (२)
...शमणुं (२)...१
मोहने हरनार छे ए, छे महोदयकार रे,
सुख दे आलोकमां, परलोकमां हितकार रे,
मोक्षने देनार छे ए, कीर्तिने करनार छे,
धन्य ए श्रामण्य, तुं छे, माहरो आधार रे,
छे सर्व अर्थो साधनारुं, रत्न ए चिंतामणी
...शमणुं (२)...२
रंग छे सोहामणो ए, हंस जेवो श्वेत रे,
अंग अंगे छलकतो ए, शुद्धिनो संकेत रे,
संग भवजलतारणो छे, कहे छे चेतन ! चेत रे,
मुक्तिनो मारग बतावे, जे प्रमाणोपेत रे,
छे झाली आ संसार तरवा, सदगुरूनी आंगळी
...शमणुं (२)...३
ना गमे आ भोगसुखो, ना गमे संसार रे,
रातदिन हैये भरातो, धर्मनो दरबार रे,
रोमेरोमे वही रही छे, त्यागनी रसधार रे,
धन्य ए श्रामण्य, क्यारे ? हुं करूं स्वीकार रे,
छे आत्मक्रांतीनी पळो आ, पुण्योदयथी सांपडी
...शमणुं (२)...४
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