आप स्वभावमां रे (Hindi Lyrics) जैन सज्झाय


आप स्वभावमां रे अवधू सदा मगनमें रहेना; 
जगत जीव हे करमाधीना, अचरिज कछुआ न लीना. 
आप स्वभावमां रे अवधू सदा मगनमें रहेना १ 

तु नहि केरा कोई नहि तेरा क्यां करे मेरा मेरा ? 
तेरा हे सो तेरी पासे, अवर सब अनेरा. 
आप स्वभावमां रे अवधू सदा मगनमें रहेना २ 


वधु विनाशी ; अविनाशी, अब हे इनका विलासी; 
वधु संग जब दूर निकासी, तब तुम शिवका वासी. 
आप स्वभावमां रे अवधू सदा मगनमें रहेना ३ 

राग ने रीसा दोच खविसा, ए तुम दुःखका दीसा 
जब तुम उनकुं दूर करीसा, तब तुम जगका इसा, 
आप स्वभावमां रे अवधू सदा मगनमें रहेना ४

परकी आश सदा निराशा, ए हे जगजन पासा 
वो काटनाकुं करो अभ्यासा, लाहो सदा सुख वासा, 
आप स्वभावमां रे अवधू सदा मगनमें रहेना ५ 

कबहीक काजी कबहीक पाजी, कबहीक हुआ अपभाजी; 
कबीक जगमें कीर्ति गाजी, सब पुद्ग़लकी बाजी. 
आप स्वभावमां रे अवधू सदा मगनमें रहेना ६ 

शुद्ध उपयोग ने समताधारी, ज्ञान ध्यान मनोहारी; 
कर्म कलंककु दूर निवारी, जीव वरे शिवनारी. 
आप स्वभावमां रे अवधू सदा मगनमें रहेना ७
आप स्वभावमां रे (Hindi Lyrics) जैन सज्झाय
आप स्वभावमां रे (Hindi Lyrics) जैन सज्झाय

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