आप स्वभावमां रे अवधू सदा मगनमें रहेना;
जगत जीव हे करमाधीना, अचरिज कछुआ न लीना.
आप स्वभावमां रे अवधू सदा मगनमें रहेना १
तु नहि केरा कोई नहि तेरा क्यां करे मेरा मेरा ?
तेरा हे सो तेरी पासे, अवर सब अनेरा.
आप स्वभावमां रे अवधू सदा मगनमें रहेना २
वधु विनाशी ; अविनाशी, अब हे इनका विलासी;
वधु संग जब दूर निकासी, तब तुम शिवका वासी.
आप स्वभावमां रे अवधू सदा मगनमें रहेना ३
राग ने रीसा दोच खविसा, ए तुम दुःखका दीसा
जब तुम उनकुं दूर करीसा, तब तुम जगका इसा,
आप स्वभावमां रे अवधू सदा मगनमें रहेना ४
परकी आश सदा निराशा, ए हे जगजन पासा
वो काटनाकुं करो अभ्यासा, लाहो सदा सुख वासा,
आप स्वभावमां रे अवधू सदा मगनमें रहेना ५
कबहीक काजी कबहीक पाजी, कबहीक हुआ अपभाजी;
कबीक जगमें कीर्ति गाजी, सब पुद्ग़लकी बाजी.
आप स्वभावमां रे अवधू सदा मगनमें रहेना ६
शुद्ध उपयोग ने समताधारी, ज्ञान ध्यान मनोहारी;
कर्म कलंककु दूर निवारी, जीव वरे शिवनारी.
आप स्वभावमां रे अवधू सदा मगनमें रहेना ७
आप स्वभावमां रे (Hindi Lyrics) जैन सज्झाय |
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